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जवानी में कई ग़ज़लें...................

जवानी  में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं  ! कई ख्वाहिश तो दिल ही दिल में पूरी छूत जाती हैं  !! जुदाई में तो मैं उससे मुक्कमल बात करता हूँ  !!! मुलाकातों में सब बातें अधूरी छूट जातीं हैं  !!! जो मैं या तुम समझ लें वो इशारा कर लिया मैनें  ! भरोसा बस तुम्हारा था तुम्हारा कर लिया मैंने !! लहर है, हौंसला है , रब है, हिम्मत है, दुआयें हैं  !!! किनारा करने वालों से किनार कर लिया मैंने 

Aheshash...........

मेरी आँखों ने ये कैसा ख्वाब देखा है  ! ज़मीं पे चलता हुआ एक महताब देखा है  !! बहोत उलझन में हूँ गुज़ारा ज़माना याद आता है वो धीरे से तेरा घूँघट उठाकर मुस्कुराना याद आता है ! वो पहेली चांदनी रातों में इज़हारे मोहब्बत पर  हया से वो तेरा पलकें झुकाना याद आता है !!
इत्ता टूटा हूँ के छूने से बिखर जाऊंगा  ! अब अगर और दुआ दोगे  तो मर जाऊंगा !! ज़िन्दगी मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कस्ती का !!! तू जहाँ भी कहेगी मैं  उतर जाऊंगा !!!! कोई दोस्त है न रक़ीब है, तेरा शहर कितना अजीब है ! मै  किसे कहु मेरे साथ चल, यहाँ सब  के सिर पे सलीब है  !!  यहाँ किसका चेहरा  पढ़ा करू, यहाँ कौन इतना करीब है !!! वो  जो  इश्क़ था वो जूनून था , ये जो  हिज़्र है ये नसीब है !!!!  देखिये गर आपने बात न मानी मेरी ! लोग सच्ची नहीं समझेंगे कहानी मेरी !! सौ क़यामत के बराबर मेरा हर इक पल होगा  !!! बद्दुआ की तरह गुज़रेगी जवानी मेरी !!!!  नाकामियां  मिली तो मुक़द्दर से  डर  पानी की एक बून्द थी जो  समंदर थे  डर गए ! वो मै  नहीं था  वो तेरी  ही गली  के कुछ लोग थे  जो ज़हर में  बुझे हुए  ख़ज़र  से डर  गए  !! न हौंसले न  इरादे बदल रहे  हैं लोग  थके  थके  हैं  मगर फिर  भी ...