Aheshash...........
मेरी आँखों ने ये कैसा ख्वाब देखा है !
ज़मीं पे चलता हुआ एक महताब देखा है !!
बहोत उलझन में हूँ गुज़ारा ज़माना याद आता है
वो धीरे से तेरा घूँघट उठाकर मुस्कुराना याद आता है !
वो पहेली चांदनी रातों में इज़हारे मोहब्बत पर
हया से वो तेरा पलकें झुकाना याद आता है !!
ज़मीं पे चलता हुआ एक महताब देखा है !!
बहोत उलझन में हूँ गुज़ारा ज़माना याद आता है
वो धीरे से तेरा घूँघट उठाकर मुस्कुराना याद आता है !
वो पहेली चांदनी रातों में इज़हारे मोहब्बत पर
हया से वो तेरा पलकें झुकाना याद आता है !!
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